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Channel: Osho Amrit/ओशो अमृत
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भावना के भोज पत्र–(पत्र–पाथय–48)

पत्र—पाथय—48 निवास: 115, योगेश भवन, नेपियर टाउन                                                जबलपुर (म. प्र.) आर्चाय रजनीश दर्शन विभाग महाकोशल महाविद्यालय 25 मार्च 1962 प्रिय मां, दोपहर तप गई है।...

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भावना के भोज पत्र–(पत्र–पाथय–49)

पत्र—पाथय—49 निवास: 115, योगेश भवन, नेपियर टाउन                                                जबलपुर (म. प्र.) आर्चाय रजनीश दर्शन विभाग महाकोशल महाविद्यालय मां, नयी सुबह। नया सूरज। नई धूप। सोकर उठा...

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भावना के भोज पत्र–(पत्र–पाथय–50)

पत्र—पाथय—50 निवास: 115, योगेश भवन, नेपियर टाउन                                                जबलपुर (म. प्र.) आर्चाय रजनीश दर्शन विभाग महाकोशल महाविद्यालय प्रिय मां, कल रात्रि कोई महायात्रा पर निकल...

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संतो मगन भया मन मेरा–(प्रवचन–06)

प्रेम परमात्‍मा है—(प्रवचन—छठवां) दिनांक 17 मई 1979; श्री रजनीश आश्रम पूना। प्रश्‍न सार: 1—आपसे कोई प्रश्न पूछती हूँ तो मुझे लगता है—मेरी गर्दन आपकी तलवार के नीचे आ गयी ऐसा क्यों? 2—आप ऑंख खोलने के लिए...

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किताबे–ए–मीरदाद–(अध्‍याय–31)

अध्याय—इकत्तीस निज घर के लिये महाबिरह मीरदाद : धुन्ध के समान है निज घर के लिये महाविरह। जिस प्रकार समुद्र और धरती से उठी धुन्ध समुद्र तथा धरती पर ऐसे छा जाती है कि उन्हें कोई देख नहीं सकता, इसी प्रकार...

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किताबे–ए–मीरदाद–(अध्‍याय–32)

अध्याय—बत्तीस पाप और आवरण मीरदाद : पाप के विषय में तुम्हें बता दिया गया है, और यह तुम जान जाओगे कि मनुष्य पापी कैसे बना। तुम्हारा कहना है, और वह सारहीन भी नहीं है, कि परमात्मा का प्रतिबिम्ब और प्रतिरूप...

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किताबे–ए–मीरदाद–(अध्‍याय–33)

अध्याय—तैंतीस रात्रि — अनुपम गायिका  नरौंदा : पर्वतीय नीड़ के लिये, जिसे बर्फीली हवाओं और बर्फ के भारी अम्बारों ने पूरे शीतकाल में हमारी पहुँच से परे रखा था, हम सब इस प्रकार तरस रहे थे जिस प्रकार कोई...

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किताबे–ए–मीरदाद–(अध्‍याय–34)

अध्याय—चौंतीस माँ— अण्डाणु मीरदाद : मीरदाद चाहता है कि इस रात के सन्नाटे में तुम एकाग्र —चित्त होकर माँ—अण्डाणु के विषय में विचार करो। स्थान और जो कुछ उसके अन्दर है एक अण्डाणु है जिसका खोल समय है। यही...

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किताबे–ए–मीरदाद–(अध्‍याय–35)

अध्याय—पैंतीस परमात्मा की राह पर प्रकाश — कण मीरदाद : इस रात के सन्नाटे में मीरदाद परमात्मा की ओर जाने वाली तुम्हारी राह पर कुछ प्रकाश —कण बिखेरना चाहता है। विवाद से बचो। सत्य स्वयं प्रमाणित है; उसे...

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किताबे–ए–मीरदाद–(अध्‍याय–36)

अध्याय—छत्तीस नौका — दिवस तथा उसके धार्मिक अनुष्ठान जीवित दीपक के बारे में बेसार के सुलतान का सन्देश नरौंदा : जब मुर्शिद बेसार से लौटे तब से शमदाम उदास और अलग —अलग सा रहता था। किन्तु जब नौका —दिवस निकट...

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किताबे–ए–मीरदाद–(अध्‍याय–37)

अध्याय—सैंतीस  मुर्शिद लोगों को आग और खून की बाढ़ से सावधान करते हैं बचने का मार्ग बताते हैं, और अपनी नौका को जल में उतारते हैं मीरदाद : क्या चाहते हो तुम मीरदाद से? वेदी को सजाने के लिये सोने का रत्न...

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संतो मगन भया मन मेरा–(प्रवचन–07)

मन रे, करू संतोष सनेही—(प्रवचन—सातवां) दिनांक 18 मई 1979; श्री रजनीश आश्रम, पूना। सारसूत्र: मन रे, करु संतोष सनेही।   तृस्ना तपति मिटै जुग—जुग की, दुख पावै नहिं देही।। मिल्या सुत्याग माहिंजे सिरज्या,...

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आनंद योग—(द बिलिव्‍ड)

आनंद योग—(द बिलिव्‍ड) (अंग्रेजी पुस्‍तक ‘’The Beloved Vol-2’’ बाउल संतो के क्रांति गीत का हिन्‍दी अनुवाद स्‍वामी ज्ञान भेद द्वारा) परमात्‍मा तुम्‍हारे चारों और है, और तुम हमेशा उससे चूक रहे हो,...

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आनंद योग—(द बिलिव्‍ड)–(प्रवचन–1)

जड़े और फूल एक ही है—(प्रवचन—पहला) दिनांक 10 जूलाई 1976; श्री ओशो आश्रम पूना। सूत्र— बाउल गाते हैं उत्सव आनंद में डूबे साहसी दीवानों का रस और माधुर्य जब एक स्वर्णपात्र में इकट्ठा हो जाता है तभी उसका...

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संतो मगन भया मन मेरा–(प्रवचन–08)

अहेतुक प्रेम भक्‍ति है—(प्रवचन—08) दिनांक 19 मई 1979; श्री रजनीश आश्रम, पूना। प्रश्‍नसार: 1—आपसे आंख मिली तबसे अविरत गुंजन हो गयी थी। कल संध्या आपके चरणों में गिरते ही धुन विदा हो गयी, शब्द निःशब्द हो...

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भक्‍ति सूत्र–(नारद)–प्रवचन–11

शून्‍य की झील में प्रेम का कमल है भक्ति—ग्यारहवां प्रवचन दिनांक 11 मार्च, 1976, श्री रजनीश आश्रम, पूना  सूत्र : दु:संग : सर्वथैव त्याज्य कामक्रोधमोहस्मृतिभ्रंशाबुद्धिनाशसर्वनाशकारणत्‍वात्     तरंगायिता...

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भक्‍ति सूत्र–(नारद)–प्रवचन–12

अभी और यहीं है भक्ति—बारहवां प्रवचन दिनांक 12 मार्च, 1976, श्री रजनीश आश्रम, पूना  प्रश्र-सार : *भगवान, भक्ति और भोग में क्या कुछ आतरिक तारतम्य है?  *एक मित्र ने… सुझाव दिया है! कि नारद के सूत्र में...

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भक्‍ति सूत्र–(नारद)–प्रवचन–13

शून्‍य का संगीत है प्रेमा–भक्ति—तेहरवां प्रवचन  दिनांक 13 मार्च, 1976, श्री रजनीश आश्रम, पूना  सूत्र : अनिर्वचनीश प्रेमस्वरूपम् मूकास्वादमवत् प्रकाशते क्वापि पात्रे गुणरहित सूक्ष्मतरमनुभवरूपम्...

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भक्‍ति सूत्र–(नारद)–प्रवचन–14

असहाय हृदय की आह है प्रार्थना–भक्ति—चौदहवां प्रवचन दिनांक 14 मार्च, 1976, श्री रजनीश आश्रम, पूना प्रश्‍न-सार : *भगवान! सामर्थ्य तो कुछ है नहीं और प्यास उठी अनंत की। मिलन होगा? क्या प्रेम और मृत्यु के...

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भक्‍ति सूत्र–(नारद)–प्रवचन–15

हृदय–सरोवर का कमल है भक्ति—पद्रहवा प्रवचन दिनांक 15 मार्च, 1976, श्री रजनीश आश्रम, पूना  सूत्र : अन्यस्मात् सौलम्यं भक्तौ प्रमाणान्तरस्यानपेक्षत्वात् स्वयंप्रमाणत्वात् शान्तिरूपात्परमानन्दरूपाच्च...

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