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Channel: Osho Amrit/ओशो अमृत
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भक्‍ति सूत्र–(नारद)–प्रवचन–16

उदासी नहीं—उत्सव है भक्ति—सोलहवां प्रवचन दिनांक 16 मार्च, 1976, श्री रजनीश आश्रम, पूना  प्रश्‍न सार : *राजा हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद की पुराणकथा तथा होली उत्सव पर प्रकाश डालें।  *यारी करके देखा यार...

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भक्‍ति सूत्र–(नारद)–प्रवचन–17

कान्ता जैसी प्रतिबद्धता है भक्ति—सत्रहवां प्रवचन दिनांक १७ मार्च,१९७६, श्री रजनीश आश्रम, पूना  सूत्र :  त्रिरूपभगपूर्वक नित्यदासनित्यकाता भजनात्मकं वा प्रेमैव कार्यम्, प्रेमैव कार्यम् भक्त एकान्तिनो...

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भक्‍ति सूत्र–(नारद)–प्रवचन–18

एकांत के मंदिर में है भक्ति—अठारहवां प्रवचन दिनांक 18 मार्च,1976, श्री रजनीश आश्रम, पूना  प्रश्‍न सार : *मैं बिलकुल अकेली हूं, बुढापा भी आ गया है, पैर से अपाहिज हूं, नाच भी नहीं सकती! क्या मेरे जिए आशा...

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भक्‍ति सूत्र–(नारद)–प्रवचन–19

प्रज्ञा की थिरता है मुक्ति—उन्नीसवां प्रवचन दिनांक २१ मार्च, १९७६, श्री रजनीश आश्रम, पूना  सूत्र : वादो नावलम्ब्य। । 74। ।   बाहुल्यावकाशादनियतत्ववच्च। । 75। ।   भक्तिशास्त्राणि मननीयानि तदुद्वोधक...

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भक्‍ति सूत्र–(नारद)–प्रवचन–20

अहोभाव, आनंद, उत्‍सव है भक्‍ति—बीसवां प्रवचन दिनांक 22 मार्च,1976, श्री रजनीश आश्रम, पूना  प्रश्न सार : *परम विरहासक्ति पर कुछ कहें?  *ध्यान की गहराई की अवस्था स्थायी कैसे हो?  *क्या मुक्ति के लिए...

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संतो मगन भया मन मेरा–(प्रवचन–09)

राम रेगीले के रंग राती—(प्रवचन—नौवां) दिनांक 20 मई 1979; श्री रजनीश आश्रम पूना। सूत्र: गुरु गरवा दादू मिल्या, दीरघ दिल दरिया। तत छन परसन होत हीं भजन भाव भरिया।। श्रवण कथा साँची सुणी, संगति सतगुरु की।...

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आनंद योग—(द बिलिव्‍ड)–(प्रवचन–2)

जब संदेह न होकर विश्‍वास होता है—(प्रवचन—दूसरा) दिनांक 11 जूलाई 1976; श्री ओशो आश्रम पूना। प्रश्‍नसार: 1—विश्‍वास करने के निर्णय से विश्‍वास उत्‍पन्‍न क्‍यों नहीं होता?       2—बाउल, एक तांत्रिक, एक...

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आनंद योग—(द बिलिव्‍ड)–(प्रवचन–3)

अपनी आंखें बंद करो और उसे पकडने का प्रयास करो—(प्रवचन—तीसरा) दिनांक 12 जूलाई 1976; श्री ओशो आश्रम पूना।  बाउल गाते हैं— वासना की सरिता में कभी डुबकी लगाना ही मत अन्यथा तुम किनारे तक पहुंचोगे ही नहीं,...

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संतो मगन भया मन मेरा–(प्रवचन–10)

ठहर जाना पा लेना है—(प्रवचन—दसवां) दिनांक 21 मई 1979; श्री रजनीश आश्रम, पूना। प्रश्न सार: 1—आपके हिंदी प्रवचनों में भी सत्तर—अस्सी प्रतिशत वे पाश्चात्य संन्यासी होते हैं जिन्हें हिंदी—भाषा बिल्कुल नहीं...

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संतो मगन भया मन मेरा–(प्रवचन–11)

राम बिन सावन सह्यो न जाइ—(प्रवचन—ग्‍याहरवां) दिनांक 22 मई 1979; श्री रजनीश आश्रम पूना। सूत्र: रामबिन सावन सह्यो न जाइ। काली घटा काल होइ आई, कामनि दगधै माइ।। कनक—अवास—वास सब फीके, बिन पिय के परसंग।...

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आनंद यांग–(दि बिलिव्ड)–(प्रवचन–04)

मध्‍य में रूकने का स्‍मरण रहे—(प्रवचन—चौथा) दिनांक 13 जूलाई 1976; श्री ओशो आश्रम पूना। पहला प्रश्न : प्यारे ओशो! मैने सुना है:….. एक मनोवैज्ञानिक अपने ही जुड़वां पुत्रों के साथ एक प्रयोग करना चाहत था!...

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संतो मगन भया मन मेरा–(प्रवचन–12)

नीड़—निर्माण का मजा : जब आंधी हो—(प्रवचन—बाहरवां) दिनांक 23 मई 1979; श्री रजनीश आश्रम, पूना। प्रश्‍नसार: 1—आप कृष्‍ण, क्राइस्‍ट, कबीर, सभी पर क्‍यों बोल रहे है? 2—जंजीर टूटी नहीं, नुपुर बन गई है।...

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आनंद यांग–(दि बिलिव्ड)–(प्रवचन–05)

आज इतना ही। जीवन रहते हुए मरना—(प्रवचन—पांचवां) दिनांक 14 जूलाई 1976; श्री ओशो आश्रम पूना। बाऊलगीत— यह मनुष्य का शरीर जो श्वांस लेता है, प्राणवायु पर ही जीवित रहता है। और उसके पार वह अदृश्य दूसरा जो...

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संतो मगन भय मन मेरा–(प्रवचन–13)

गुरु की याद में रंग भी बहुत, नूर भी बहुत—(प्रवचन—तेरहवां) 24 मई 1979; श्री रजनीश आश्रम। सूत्र: मार भली जो सतगुरु देहि। फेरि—बदल औरे करि लेहि।। ज्यूँ माटी कूँ कुटे कुँभार। त्यूँ सतगुरु की मार विचार।।...

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आनंद यांग–(दि बिलिव्ड)–(प्रवचन–06)

अभी यह क्षण समय का भाग नहीं है—(प्रवचन—छट्ठवां) दिनांक 15 जूलाई, 1976; श्री रजनीश आश्रम पूना। प्रशनसार— पहला प्रश्न: मुझे कैसे प्रार्थना करनी चाहिए? मैं प्रार्थना करने में जो कुछ अनुभव करता है, मैं...

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संतो मगन भया मन मेरा–(प्रवचन–14)

उपासना चेष्टारहित चेष्टा है—(प्रवचन—चौदहवाँ) 25 मई 1979; श्री रजनीश आश्रम, पूना       प्रशनसार— 1—पूजा—पाठ, योग—ध्यान, व्रत—उपवास, साधुता, ये सब मैने किया; इतने अनुभवों से गुजरा, कुछ हुआ नहीं; और आप...

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आनंद यांग–(दि बिलिव्ड)–(प्रवचन–07)

वे वासना को वासना से ही मारते हैं—(प्रवचन—सातवां) दिनांक 16 जूलाई 1976; श्री रजनीश आश्रम पूना।  बाऊलगीत: जो लोग मर गये हैं पर फिर भी वे पूरी तरह जीवित है, और वे प्रेम के अनुभवों और उसकी सुवास को भली...

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संतो मगन भया मन मेरा–(प्रवचन–15)

बिरहिण बिहरे रैनदिन—(प्रवचन—पंद्रहवाँ) दिनांक 26 मई 1976, श्री रजनीश आश्रम, पूना सूत्र: सिला सँवारी राजनै, ताहि नवै सब कोइ। रज्जब सिष—सिल गुरु गढै सोइ पूजि किन होइ।। गुरु ज्ञाता परजापती, सेवक माटी रूप।...

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आनंद यांग–(दि बिलिव्ड)–(प्रवचन–08)

मैं केवल तुम्हारे लिए ही अस्तित्व में बना हुआ हूं—(प्रवचन—आठवां) दिनांक 17 जूलाई 1976, श्री रजनीश आश्रम, पूना। प्रश्‍नसार: पहला प्रश्न: जब कोई व्यक्ति तुमसे घृणा करता है, तो तुम क्या करो? चाहे कोई...

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संतो मगन भया मन मेरा–(प्रवचन–16)

गुरु दर्पण है—(प्रवचन—सोहलवां) दिनांक 27 मई 1978, श्री रजनीश आश्रम पूना। प्रश्‍नसार: 1—आपके बिना जिंदगी से कुछ शिकवा तो न था, लेकिन आपके बिना यह जिंदगी जिंदगी भी तो न थी!… 2—गुरु कब तक मारनहार रहता है...

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