कृष्ण–स्मृति
कृष्ण-स्मृति ओशो (ओशो द्वारा कृष्ण के बहु-आयामी व्यक्तित्व पर दी गई 21 र्वात्ताओं एवं नव-संन्यास पर दिए गए एक विशेष प्रवचन का अप्रतिम संकलन। यही वह प्रवचनमाला है जिसके दौरान ओशो के...
View Articleकृष्ण–स्मृति–(प्रवचन–1)
हंसते व जीवंत धर्म के प्रतीक कृष्ण—(प्रवचन—पहला) दिनांक 20 जुलाई, 1970; सी. सी. आई. चैंबर्सं, मुम्बई। “कृष्ण के व्यक्तित्व में आज के युग के लिए क्या-क्या विशेषताएं हैं और उनके व्यक्तित्व का क्या...
View Articleपतंजलि: योगसूत्र–(भाग–5)
पतंजलि—योग सूत्र (भाग—5) ओशो धर्म कोई अहंकार का खेल नहीं है। तुम कोई अहंकार की खोज में संलग्न नहीं हो, बल्कि तुम तो समग्र को उपलब्ध करने का प्रयास कर रहे हो, और समग्र तभी संभव हो पाता है जब अहंकार के...
View Articleपतंजलि: योगसूत्र–(भाग–5) प्रवचन–81
पंचभूतों पर अधिपत्य—(प्रवचन—पहला) योग—सूत्र: (विभुतिपाद) बहिरकल्पिता वृत्तिर्महाविदेहा तत: प्रकाशावरणक्षय:।।44।। चेतना के आयाम को संस्पर्शित करने की शक्ति मनस शरीर के परे है, अत: अकल्पनीय है,...
View Articleकृष्ण–स्मृति–(प्रवचन–2)
इहलौकिक जीवन के समग्र स्वीकार के प्रतीक कृष्ण—(प्रवचन—दूसरा) दिनांक 26 सितंबर, 1970; मनाली (कुलू) “भगवान श्री, आपको श्रीकृष्ण पर बोलने की प्रेरणा कैसे व क्यों हुई? इस लंबी चर्चा का मूल आधार क्या है?’...
View Articleपतंजलि: योगसूत्र–(भाग–5) प्रवचन–82
चुनाव नरक है—(प्रवचन—दूसरा) प्रश्न—सार: 1—‘ओशो, आप मुझसे बहने के लिए कहते हैं, यह कैसे संभव है? 2—‘मैं अनुत्तरदायी अनुभव करता हूं और उलझ जाता हूं कि संन्यास क्या है? 3—ओशो समस्या क्या है? 4—‘आप...
View Articleकृष्ण–स्मृति–(प्रवचन–3)
सहज शून्यता के प्रतीक कृष्ण—(प्रवचन—तीसरा) दिनांक 26 सितंबर 1970; मनाली (कुलू) “सारी गीता में कृष्ण परम अहंकारी मालूम पड़ते हैं। लेकिन आपने सुबह के प्रवचन में कहा कि निरहंकारी होने से ही कृष्ण कह सके कि...
View Articleपतंजलि: योगसूत्र–(भाग–5) प्रवचन-83
तत्क्षण बोध—(प्रवचन—तीसरा) (विभुतिपाद) योग—सूत्र: ग्रहणस्वरूपास्मिजन्वयार्थवत्यसंयमादिन्द्रियजय:।।48।। उनकी बोध की शक्ति, वास्तविक स्वरूप, अस्मिता, सर्वव्यापकता और क्रियाकलापों पर संयम साधने से...
View Articleकृष्ण–स्मृति–(प्रवचन–4)
स्वधर्म-निष्ठा के आत्यंतिक प्रतीक कृष्ण—(प्रवचन—चौथा) दिनांक 27 सितंबर, 1970; प्रात: ,मनाली (कुलू) “भगवान श्री, कृष्ण का जन्म आज से कितने वर्ष पहले हुआ था? इस संबंध में आज तक क्या शोध हुई है? आपका अपना...
View Articleपतंजलि: योगसूत्र–(भाग–5) प्रवचन–84
किसी वास्तविक प्रचंड स्त्री को खोज लो—(प्रवचन—चौथा) प्रश्न—सार: 1—मैं बूढ़ा होने से सदा भयभीत क्या रहता हूं? 2—क मेरी तीन समस्याएं हैं : कामुक अनुभव करना, दसरे की खोज और मन में बना रहना कृपया मुझे...
View Articleकृष्ण–स्मृति–(प्रवचन–5)
“अकारण‘ के आत्यंतिक प्रतीक कृष्ण—(प्रवचन—पांचवां) दिनांक 27 सितंबर, 1970; सांय, मनाली (कुलू) “भगवान श्री, श्रीकृष्ण के जन्म के समय क्या सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक स्थितियां थीं, जिनके कारण कृष्ण...
View Articleपतंजलि: योगसूत्र–(भाग–5) प्रवचन–85
अहंकार का अंतिम आक्रमण—(प्रवचन—पांचवां) योग—सूत्र: (विभुतिपाद) तद्वैराग्यादैपि दोषबीणखूये कैवस्युमू।। 51।। इन शक्तियों से भी अनासक्त होने से, बंधन का बीज नष्ट हो जाता है। तब आता है कैवल्य, मोक्ष।...
View Articleकृष्ण–स्मृति–(प्रवचन–6)
जीवन के बृहत् जोड़ के प्रतीक कृष्ण—(प्रवचन—छठवां) दिनांक 28 सितंबर, 1970; प्रात:, मनाली (कुलू) “श्रीकृष्ण के गर्भाधान व जन्म की विशेषताओं व रहस्यों पर सविस्तार प्रकाश डालने की कृपा करें। और क्राइस्ट की...
View Articleपतंजलि: योगसूत्र–(भाग–5) प्रवचन–86
केवल परमात्मा जानता है—(प्रवचन—छठवां) प्रश्नसार: 1—उपद्रव की स्थितियों के मध्य गहरे—और—गहरे कैसे संभव हो सकता है? 2—जब मैं आपसे निकटता अनुभव करती हूं, उन क्षणों में मैं हंसना चाहती हूं। ऐसा क्यों...
View Articleकृष्ण–स्मृति–(प्रवचन–7)
जीवन में महोत्सव के प्रतीक कृष्ण—(प्रवचन—सातवां) दिनांक 28 सितंबर, 1970; सांय, मनाली (कुलू) “आपने कहा कि आप विवाह को अनैतिक कहते हैं। और सर्वाधिक विवाह कृष्ण करते हैं। क्या वे विवाह रूपी अनैतिकता को...
View Articleकृष्ण–स्मृति–(प्रवचन–8)
क्षण-क्षण जीने के महाप्रतीक कृष्ण—(प्रवचन—आठवां) दिनांक 29 सितंबर, 1970; प्रात:, मनाली (कुलू) “भगवान श्री, कृष्ण के बाल्यकाल की तथा अन्य इतनी कथाएं हैं–जैसे चाणूर तथा मुष्टिक नाम के पहलवानों को...
View Articleपतंजलि: योगसूत्र–(भाग–5) प्रवचन–87
उच्चतम ज्ञान: संपूर्ण अभी—(प्रवचन—सातवां) योग—सूत्र– (‘विभूतिपाद’) क्षणतत्कमयौ: संयमाद्विवेकजं ज्ञानम्।। 53।। वर्तमान क्षण पर संयम साधने से क्षण विलीन हो जाता है, और आने वाला क्षण परम तत्व के बोध से...
View Articleपतंजलि: योगसूत्र–(भाग–5) प्रवचन–88
समलैंगिकता के बारे में सब कुछ—(प्रवचन—आठवां) प्रश्नसार: 1—यदि मृत्यु ही आनी है, तो जीने में क्या सार है? 2—प्यारे ओशो, क्या आप वास्तव में बस एक मनुष्य हैं, जो सबुद्ध हो गया? 3—दिव्यता के भीतर कैसे...
View Articleकृष्ण–स्मृति–(प्रवचन–9)
विराट जागतिक रासलीला के प्रतीक कृष्ण—(प्रवचन—नौवां) दिनांक 28 सितंबर, 1970; संध्या, मनाली (कुलू) “रासबिहारी होते हुए भी श्रीकृष्ण ब्रह्मचारी कहलाए, इसका मर्म क्या है? आज के आधुनिक समाज में रासलीला का...
View Articleपतंजलि: योगसूत्र–(भाग–5) प्रवचन–89
कैवल्य: परम एकांत—(प्रवचन—नौवां) योग—सूत्र: (विभूतिपाद) सत्त्वपुरुषके शुद्धिसाम्पे कैबल्यम्।। 56।। जब पुरुष और सत्व के मध्य शुद्धता में साम्य होता है, तभी कैवल्य उपलब्ध हो जाता है। छान्दोग्य उपनिषद...
View Article