गीता दर्शन–(भाग–8) प्रवचन–215
समर्पण का राज–(प्रवचन—सत्रहवां) अध्याय—18 सूत्र— सर्वगुह्मतमं भूय: श्रृणु मे परमं वचः। हष्टोऽसि मे दृढमिति ततो वक्ष्यामि ते हितम्।। 64।। मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु। मामैवैष्यसि सत्यं ते...
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आध्यात्मिक संप्रेषण संप्रेषण की गोपनीयता—(प्रवचन—अठारहवां) अध्याय—18 सूत्र— हदं ते नातपस्काय नाभक्ताय कदाचन। न चाशुश्रूषवे वाच्यं न च मां योऽभ्यसूयीत।। 67।। य इमं परमं गुह्मं मद्भक्तेम्बीभधास्यति।...
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गीता—ज्ञान—यज्ञ—(प्रवचन—उन्नीसवां) अध्याय—18 सूत्र– अध्येष्यते च य इमं धर्म्यं संवादमावयो:। ज्ञानयज्ञेन तेनाहमिष्ट स्यामिति मे मति:।। 70।। श्रद्धावाननसूयश्च श्रृणुयादीय यो नर:। सोऽपि मुक्त:...
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मनन और निदिध्यासन—(प्रवचन—बीसवां) अध्याय—18 सूत्र– कच्चिदेतव्छ्रुतं पार्थ त्वयैकाग्रेण चेतसा। कच्चिमानसंमोह: मनष्टस्ते धनंजय।। 72।। अर्जन उवाच: नष्टो मोह: स्मृतिर्लब्धा त्वत्ससादान्मयाव्युत।...
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परतामात्मा को झेलने का पात्रता—(प्रवचन—इक्कीसवां) अध्याय—18 सूत्र— सजय उवाच: ड़त्यहं वासुदेवस्य यार्थस्य च महात्मन:। संवादभिममश्रौषमद्भुतं रोमहर्षणम्।। 74।। व्याक्यसादाच्छूतवानेतदगह्यमहं परम्। योगं...
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तंत्र—सूत्र (भाग—1) ओशो तंत्र विज्ञान है, और वह परमाणु—विज्ञान से भी ज्यादा गहन विज्ञान है। परमाणु विज्ञान पदार्थ से संबंधित है; तंत्र तुमसे संबंधित है। और तुम सदा ही किसी भी परमाणु—ऊर्जा से अधिक...
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योग और तंत्र; समर्पण और विधि—प्रवचन—दूसरा प्रश्न सार: 1—योग और तंत्र में क्या फर्क है? 2—समर्पण की विधि क्या है? 3—कैसे कोई विधि रास आती है? कई प्रश्न हैं। पहला प्रश्न: परंपरागत योग और तंत्र में...
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श्वास: शरीर और आत्मा के बीच सेतु—(प्रवचन—तीसरा) सूत्र: शिव कहते है: 1—हे देवी, यह अनुभव दो श्वासों के बीच घटित हो सकता है। श्वास के भीतर आने के पश्चात और बहार लौटन के ठीक पूर्व—श्रेयस है, कल्याण...
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मन के धोखों से सावधान—(प्रवचन—चौथा) प्रश्नसार: 1—ऐसी आसान विधियों से क्या ज्ञान—उपलब्धि संभव है? 2—काम करते हुए क्या श्वास—बोध का प्रयोग किया जा सकता है? प्रश्न : यह कैसे संभव है कि कोई व्यक्ति...
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अवधान, शिव—नेत्र और आत्मोपलब्धि–प्रवचन—पांचवां सूत्र: 5— भृकुटियों के बीच अवधान को स्थिर कर विचार को मन के सामने करो। फिर सहस्त्रार तक रूप को श्वास—तत्व से, प्राण से भरने दो। वहां वह प्रकाश की...
View Articleतंत्र–सूत्र (भाग–1) प्रवचन–6
स्वप्न का अतिक्रमण कैसे हो—प्रवचन—छठवां प्रश्नसार: 1—स्वप्न देखते हुए बोधपूर्ण कैसे हुआ जाए? 2—प्रयत्न क्यों करें अगर नाटक के पात्र भर है? एक मित्र ने पूछा है : क्या समझाने की कृप्या करेंगे...
View Articleका सोवै दिन रैन–(प्रवचन–पहला)
का सोवै दिन रैन—(धनी धरमदास) (धनी धरमदास के पदों पर दिनांक 31 मार्च, 1978 से 10 अप्रैल, 1978 तक हुए ग्यारह अमृत प्रवचनों की दूसरी प्रवचनमाला) हम सोवै दिन रैन। हम सोए ही हुए है, हमारी नींद...
View Articleतंत्र–सूत्र–(भाग–1)–(प्रवचन–7)
प्रेम करते हुए प्रेम ही हो जाओ—प्रवचन—सातवां सूत्र: 10— प्रिय देवी, प्रेम किए जाने के क्षण में प्रेम में ऐसे प्रवेश करो जैसे कि वह नित्य जीवन हो। 11— जब चींटी के रेंगने की अनुभूति हो तो...
View Articleतंत्र–सूत्र–(भाग–1) प्रवचन–8
तांत्रिक शुद्धि का आधार अभेद है—प्रवचन—आठवां प्रश्नसार: 1—शुद्धि से तंत्र का अभिप्राय क्या है? एक बात अक्सर पूछी जाती है : तांत्रिक शुद्धि का तंत्र का क्या मतलब है जब वह कहता है की प्रगति के...
View Articleतंत्र–सूत्र–(भाग–1) प्रवचन–9
केंद्रीभूत होने की कुछ विधियां—(प्रवचन—नौवां) सूत्र: 13—या कल्पना करो कि मोर की पूंछ के पंचरंगें वर्तुल निस्सीम अंतरिक्ष में तुम्हारी पाँच इंद्रियां है। अब उनके सौंदर्य को भीतर ही धुलने दो। उसी...
View Articleतंत्र–सूत्र–(भाग-1) प्रवचन–10
केंद्रित, संतुलित और आप्तकाम होओ—(प्रवचन—दसवां) प्रश्नसार: 1—क्या आत्मोपलब्धि बुनियादी आवश्यकता है? 2—मनन, एकाग्रता और ध्यान पर प्रकाश डालें। 3—नाभि—केंद्रके विकास के लिए जो प्रशिक्षण है...
View Articleतंत्र–सूत्र–(भाग–1) प्रवचन–11
त्रिनेत्र, नाभि—केंद्र और मध्य–मार्ग—(प्रवचन—ग्याहरवां) सूत्र: 15—सिर के सात द्वारों को अपने हाथों से बंद करने पर आंखों के बीच का स्थान सर्वग्राही हो जाता है। 16—हे भगवती, जब इंद्रियां ह्रदय में...
View Articleज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया–(पंच महाव्रत) प्रवचन–1
ज्यों की त्यों धरि दीन्ही चदरिया—(पंच महाव्रत) (ओशो द्वारा पंच महाव्रत पर दिए गए तेरह अमृत प्रवचनों का अपूर्व संकलन।) धर्म एक चुनौती है। और चुनौती सीख जायें तो कहीं से भी वह चुनौती मिल सकती है।...
View Articleका सोवै दिन रैन–(प्रवचन–2)
जागों—अभी और यहीं—(प्रवचन—दूसरा) दिनांक; 1अप्रैल, 1978; श्री रजनीश आश्रम, पूना। प्रश्नसार: 1–क्या आपकी देशना नगद धर्म की है? हर क्षण भगवता भोगने की है? क्या आप भक्ति को भी नगद धर्म की संज्ञा देंगे?...
View Articleतंत्र–सूत्र–(भाग–1) प्रवचन–12
उदगम की खोज में—(प्रवचन—बाहरवां) प्रश्नसार: 1—कृपया बताएं कि नाभि—केंद्र, तीसरी आँख और मेरूदंड के काम क्या है? 2—बुद्ध की तपश्चर्या संसार के विपरित मालूम होती है; यह मध्य मार्ग नहीं मालूम होती।...
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