पतंजलि: योगसूत्र–(भाग–2) प्रवचन–31
सहजता—स्वाध्याय—विसर्जन—(प्रवचन—ग्याहरवां) योगसूत्र (साधनपाद) तप:स्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि क्रियायोग:।। 1।। क्रियायोग एक, प्रायोगिक, प्राथमिक योग है और वह संधटित हुआ है— सहज संयम (तप), स्वाध्याय...
View Articleबिन बाती बिन तेल–(ओशो) प्रवचन–3
ध्यान: एक अकथ कहानी—(प्रवचन—तीसरा) दिनांक 23 जून 1974 (प्रातः), श्री रजनीश आश्रम; पूना. भगवान! झेन संत, होजेन अपने शिष्यों से कहा करते थे, कि ध्यान उस आदमी की तरह है, जो एक ऊंची चट्टान के किनारे खड़े...
View Articleपतंजलि: योगसूत्र–(भाग–2) प्रवचन–32
संदेश्नशीलता, उत्सव और स्वीकार—प्रवचन—बाहरवां प्रश्न—सार 1—अहंकार साथ है; कैसे समर्पण करूं? 2—आप चेतना के शिखर है, इसलिए आप उत्सव मना सकते है, लेकिन एक साधारण आदमी कैसे उत्सव मना पायेगा? 3—कई...
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मृत शब्दों से जीवित सत्य की प्राप्ति असंभव—(प्रवचन—चौथा) दिनांक २४ सितंबर, १९७४. श्री ओशो आश्रम, पूना। भगवान! एक घुमक्कड़ साधु ने एक बूढ़ी स्त्री से तैजान का रास्ता पूछा। तैजान एक प्रसिद्ध मंदिर है और...
View Articleपतंजलि: योगसूत्र–(भाग–2) प्रवचन–33
दुःख का मूल : होश का अभाव और तादात्म्य—(प्रवचन—तैहरवां) योगसूत्र (साधनापाद) अनित्याशुचिदु:खानात्मसु नित्यशुचिसुखात्मख्याति: अविद्या।। 5।। अविद्या है—अनित्य को नित्य समझना, अशुद्ध को शुद्ध जानना,...
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जीवन एक वर्तुल है—(प्रवचन—पांचवां) दिनांक 25 जून 1974 (प्रातः), श्री रजनीश आश्रम; पूना. भगवान! आज एक लोककथा जैसी दिखने वाली सूफी कहानी का अर्थ आप हमें समझाने की कृपा करें। एक चोर चोरी के इरादे से खिड़की...
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ब्रह्म की छाया संसार है—नौवां प्रवचन सूत्र : मायोपष्टिर्जगद्योंनि: सर्वज्ञत्वादिलक्षण:। पारोक्ष्यशबल: सत्याद्यात्मकस्तत्पदत्मिधः।। 30।। आलम्बतनया भाति योsस्मत्सत्ययशब्दये।:। अंतःकरणसंत्मईन्नबा: एधः अ...
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सत्य की यात्रा के चार चरण—(प्रवचन—दसवां) सूत्र : इत्थं वाक्यैस्तदर्थानसंधानं श्रवणं भवेत। युक्ता सभावितत्वा संधानं मननं तु तत्।। 33।। ताभ्यां निर्विचिकित्सेकत्सेध्थें चेतस: स्थायितस्य तत्।...
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प्रेम मृत्यु से महान है—(प्रवचन—छठवां) दिनांक 26 जून 1974 (प्रातः), श्री रजनीश आश्रम; पूना. भगवान! किसी जमाने में एक शरीफ की बेटी थी–सौंदर्य में अप्रतिम। रूप में ही नहीं, गुण-शील में भी उसका जोड़ नहीं...
View Articleबिन बाती बिन तेल–(झेन कथा) प्रवचन–7
मनुष्य की जड़: परमात्मा—(प्रवचन—सातवां) दिनांक 27 जून 1974(प्रातः), श्री रजनीश आश्रम; पूना. भगवान! किसी आदमी ने एक दिन एक पेड़ को काट लिया। एक सूफी फकीर ने, जो यह सब देख रहे थे, कहा, ‘ इस ताजा डाल को तो...
View Articleअधायत्म–उपनिषद–(प्रवचन–11)
धर्म—मेध समाधि—ग्यारहवां प्रवचन सूत्र : वृत्तयस्तु तदानीमप्यज्ञाता आत्मगोचरह:। स्मरणादनुम।ईयन्ते व्युइप्प्थतस्य समुइप्प्थता:।। 36।। अनादाविह संसारे संचिता: कर्मकोटय:। अनेन विलयं यान्ति शुद्धो...
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वैराग्य आनंद का द्वार है—बारहवां प्रवचन सूत्र : वासनाsनुदयो भोग्ये वैरण्यस्य तदाsविधि:। अहंभावावोदयभावो बोधक्य परमावधि:।। 41।। लीनवृत्तेरनुत्पीत्तर्मर्यादोपरतेस्तु सा। स्थिऋज्ञो यतिरयं य:...
View Articleबिन बाती बिन तेल–(झेन कथा) प्रवचन–8
बेईमानी : संसार के मालकियत की कुंजी—(प्रवचन—आठवां) दिनांक 28 जून 1974 (प्रातः), श्री रजनीश आश्रम; पूना. भगवान! एक बदमाश था, जिसे गांव के लोगों ने पकड़ा और एक पेड़ से बांध लिया। और उससे कहा कि तुम्हें आज...
View Articleपतंजलि: योगसूत्र–(भाग–2) प्रवचन–34
मन का मिटना और स्वभाव की पहचान—(प्रवचन—चौहदवां) प्रश्नसार: 1—पश्चिम में चल रहे मन और स्वप्नों के विश्लेषण—कार्य को आप ज्यादा महत्व क्यों नहीं देते? 2—आपने कहा कि सब आरोपित प्रभावों से मुक्त...
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प्रतिप्रसव: पुरातन प्राइमल थैरेपी——(प्रवचन—पद्रंहवां) योगसूत्र (साधनापाद) स्वस्सवाही विदुषोउपि तथारूढोउभिनिवेश:।। 9।। जीवन में से गुजरते हुए मृत्यु— भय है, जीवन से चिपकाव है। यह बात सभी में प्रबल...
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जीवन्मुक्त है संत—तेरहवां प्रवचन सूत्र : न प्रत्यग्ब्लणोभेदं कथधिद च्छसर्गयो:। प्रज्ञथा यो विजानाति स जीवन्मुक्ल इष्यते।। 46।। साधुभि: पूज्यमनेsस्मिन् पीड्यमानेऽपि दुर्जनै:। सक्यावो भवेद्यस्य स...
View Articleबिन बाती बिन तेल (सूफी कहानी) प्रवचन–9
जहां वासना, वहां विवाद—(प्रवचन—नौवां) दिनांक 29 जून 1974 (प्रातः), श्री रजनीश आश्रम; पूना. भगवान! एक आदमी था, जो जानवरों की भाषा समझता था। वह एक दिन किसी रास्ते से जा रहा था। वहां एक गधा और एक...
View Articleपतंजलि: योगसूत्र–(भाग–2) प्रवचन–36
पश्चिम को जरूरत है बुद्धो की—प्रवचन—सौहलवां प्रश्न—सार: 1—जीवन की लिप्सा, जीवेषणा का कारण क्या है? और यह जीवन का आनंद मनाने में बाधा क्यों है? 2—पश्चिम के अस्तित्ववादी विचारों ने जीवन की...
View Articleबिन बाती बिन तेल–(सूफी कथा) प्रवचन–10
भक्त की पहचान: शिकायत-शून्य हृदय—(प्रवचन—दसवां) दिनांक 30 जून 1974(प्रातः), श्री रजनीश आश्रम; पूना. भगवान! एक बार मूसा ने भगवान से कहा, ‘मुझे आपके किसी भक्त को देखने की इच्छा है।’ इस पर एक आवाज आई कि...
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आकाश के समान असंग है जीवन्मुक्त–चौदहवां प्रवचन सूत्र: स्यमसंगमुदासीनं परिज्ञाय नत्रो यथा। न श्लिष्यते यति: किंचित् कदाचिद्भाविकर्मभि:।। 51।। न नभो घटोयोगेन सुरणन्धेन लिप्यते। तथऽऽत्मोपाधियोगेन...
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